राजस्थान के झुंझनू जिले के गाँव सीगड़ी में किसान परिवार में जन्म। बचपन में संघर्ष और अभावों से जूझते हुए डॉ. वर्मा ने अमेरिका के रोडे आइलैण्ड विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर तक का सफर तय किया। डॉ. वर्मा ने अपना लगभग पूरा वेतन भारत में खासकर ग्रामीण अंचल की बालिकाओं की शिक्षा को समर्पित किया है। जोकि लगभग सात करोड़ से कहीं अधिक है।
डॉ. वर्मा ने प्रयास संस्थान द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘अनुसिरजण’ के रचनाकारों हेतु मानदेय की सम्पूर्ण व्यवस्था की है।
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श्री घासीराम जी वर्मा ने प्रयास संस्थान, चूरू को भूमि हेतु भी 65,000 अखरे पैंसठ हजार रुपये और 60,000 अखरे साठ हजार रुपये यानी कुल 1,25,000 एक लाख पच्चीस हजार रुपये दिए हैं।
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डॉ. घासीराम वर्मा के नाम से संस्थान अपने खर्चे से वर्ष 2008 से ‘डॉ. घासीराम वर्मा साहित्य पुरस्कार’ देता आ रहा है। इस पुरस्कार की राशि 5100 रुपये रही।
वर्ष 2015 के आयोजन में डॉ. वर्मा ने बतौर अध्यक्ष बोलते हुए यह राशि अपनी ओर से देने की पेशकश की और इसे बढाकर 51 हजार करने की बात की। इसी क्रम में उन्होंने व्यवस्था कि पुरस्कार राशि के 51 हजार रुपये सालाना ब्याज से ही प्राप्त होते रहे, अतएव उन्होंने 7 लाख रुपये की एफडी संस्थान के नाम से करवाने का फैसला किया।
वर्ष 2015 के आयोजन में डॉ. वर्मा ने बतौर अध्यक्ष बोलते हुए यह राशि अपनी ओर से देने की पेशकश की और इसे बढाकर 51 हजार करने की बात की। इसी क्रम में उन्होंने व्यवस्था कि पुरस्कार राशि के 51 हजार रुपये सालाना ब्याज से ही प्राप्त होते रहे, अतएव उन्होंने 7 लाख रुपये की एफडी संस्थान के नाम से करवाने का फैसला किया।
