राजस्थानी के ख्यातनाम साहित्यकार श्री चंद्रप्रकाश देवल को भारत सरकार द्वार पद्मश्री सम्मान की घोषणा के उपलक्ष्य में प्रयास संस्थान द्वारा चूरू के सूचना केंद्र में आमंत्रित करते श्रोताओं से मुलाकात करवाई गए। इस अवसर पर उन्होंने अपनी बात खुलकर रखी। उनका सम्मान भी संस्थान द्वारा किया गया।
चूरू में हुआ अभिनंदन
चूरू के सूचना केंद्र में प्रयास संस्थान की ओर से आयोजित समारोह में डॉ. चंद्रप्रकाश देवल का अभिनंदन किया गया। उन्हें साफा बांधकर तथा शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह व मान-पत्र देकर सम्मानित किया गया। सैकड़ों साहित्यप्रेमियों, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों की मौजूदगी में हुए समारोह में डॉ. देवल ने कहा कि राजस्थानी भाषा विश्व की श्रेष्ठ भाषाओं में से एक है। वीर और शृंगार रस का जो अद्भुत मिश्रण राजस्थानी के दोहांें में मिलता है, वह दुनिया भर की तमाम भाषाओं और साहित्यकारों के लिए एक चुनौती है। उन्होंने कई शब्दों के उदाहरण और उनकी अभिव्यक्ति सामर्थ्य की व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसी बेजोड़ क्षमता दुनिया की किसी भी दूसरी भाषा में नहीं है। डॉ. मुमताज अली की अध्यक्षता में हुए इस समारोह में प्रख्यात पत्रकार-कवि त्रिभुवन, साहित्यकार भंवरसिंह सामौर, अतिरिक्त जिला कलक्टर बी. एल. मेहरड़ा, पंचायत समिति प्रधान रणजीत सातड़ा, साहित्यकार बैजनाथ पंवार व प्रयास संस्थान के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने डॉ. देवल के योगदान की सराहना की। समारोह में विभिन्न संस्थाओं की ओर से डॉ. देवल का अभिनंदन किया गया। संचालन संस्थान सचिव कमल शर्मा ने किया।
सम्मान शृंखला में पूर्व सभापति रामगोपाल बहड़, नगरश्री के सचिव श्यामसंुदर शर्मा, हिन्दी साहित्य संसद के शिवकुमार मधुप, हौम्योपैथ डॉ. अमरसिंह शेखावत, सरपंच महावीर नेहरा, पंचायत समिति सदस्य सफी मोहम्मद गांधी, सरपंच चिमनाराम, कादम्बिनी क्लब के राजेन्द्र शर्मा मुसाफिर, शिक्षाविद़ बाबूलाल शर्मा, एडवोकेट धर्मपाल शर्मा, हरिसिंह सिरसला, देवकांत पारीक, सुधीन्द्र शर्मा सुधि सहित अनेक भाषाप्रेमियों ने भाग लिया।
राजस्थानी के सशक्त हस्ताक्षर हैं डॉ. देवल
14 अगस्त 1949 को उदयपुर जिले के गोटीपा गांव में जन्मेµडॉ. चंद्रप्रकाश देवल राजस्थानी के जाने-माने कवि हैं। राजस्थानी में पागी, कावड़, मारग, तोपनामा, उडीक पुराण, झुरावौ तथा हिंदी में आर्त्तनाद, बोलो माधवी, स्मृति गंधा, अवसान जैसी कृतियों के रचयिता डॉ. देवल विश्व साहित्य की दर्जनों पुस्तकों का राजस्थानी में अनुवाद कर चुके हैं। महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण प्रणीत ‘वंश भास्कर’ के नौ खंडों का सात हजार पृष्ठों में डॉ. देवल द्वारा किए गए संपादन को राजस्थानी साहित्य में मील का पत्थर माना जा रहा है। डॉ. देवल को पागी के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार, काळ में कुरजा के लिए साहित्य अकादेमी के अनुवाद पुरस्कार, बोलो माधवी के लिए राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के सर्वोच्च मीरा पुरस्कार, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के सर्वोच्च सूर्यमल्ल मिश्रण पुरस्कार, लखोटिया ट्रस्ट, नई दिल्ली के लखोटिया पुरस्कार, कमला गोइन्का फाउण्डेशन, मुम्बई के मातुश्री कमला गोइन्का राजस्थानी साहित्य पुरस्कार सहित अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। वर्तमान में देवल भारत सरकार की साहित्य अकादेमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक हैं। 25 जनवरी, 2011 को राजस्थानी भाषा एवं साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्मश्री सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई है।