अन्यान्य क्षेत्रों में सिद्धहस्त विभूतियों से मुलाकात, रूबरू होने का आयोजन भी संस्थान करता रहा है। इससे श्रोताओं को विभूति से मिलने, बात करने, सुनने के साथ—साथ उसे समझने का अवसर सृजित होता है। यह मुलाकात श्रोताओं के व्यक्तित्व निर्माण में भी कहीं सहायक हो सकती है।