वर्ष 2012 हेतु यह पुरस्कार कांकरोली—राजसंमद के कथाकार कमर मेवाड़ी को उनकी कहानी पुस्तक ‘जिजीविषा और अन्य कहानियां’ के लिए दिया गया।


हिंदी में स्थापित नाम है कमर मेवाड़ी का
राजस्थान के कांकरोली (राजसमंद) में 11 जुलाई 1939 में जन्मे कमर मेवाड़ी हिंदी साहित्य में काफी दखल रखते हैं। सन 1959 के साप्ताहिक हिंदुस्तान से शुरू हुई कमर मेवाड़ी की साहित्यिक यात्रा आज अलग मुकाम के साथ खड़ी है। कमर मेवाड़ी के कहानी संग्रह ‘रोशनी की तलाश’, ‘लाशों का जंगल’, ‘उसका सपना’, ऊंचे कद का आदमी’, एवं कविता संग्रह ‘चांद के दाग’, ‘आखिर कब तक’, ‘बहस अभी जारी है’, ‘फैसला होने तक’ तथा उपन्यास ‘वह एक’ हिंदी साहित्य में खासे चर्चित रहे हैं। दूरदर्शन की ओर से कहानी ‘ऊंचे कद का आदमी’ पर टेलीफिल्म का निर्माण किया गया है। कमर हिंदी की साहित्यिक त्रैमासिक ‘संबोधन’ का 1966 से प्रकाशन-संपादन कर रहे हैं। मेवाड़ी इससे पूर्व राजस्थान साहित्य अकादमी के रांगेय राघव पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से समादृत हो चुके हैं। उनकी रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू , ओडिया, राजस्थानी, मराठी व पंजाबी में अनुवाद हो चुका है।
कार्यक्रम –




कार्यक्रम रपट :
राजस्थान)। प्रयास संस्थान की ओर से हर वर्ष दिया जाने वाला प्रतिष्ठित डॉ घासीराम वर्मा साहित्य पुरस्कार वर्ष 2012 के लिये कांकरोली के प्रख्यात कथाकार कमर मेवाड़ी को उनकी पुस्तक ‘जिजीविषा और अन्य कहानियाँ’ के लिए दिया गया है। 2 अक्टूबर 2012 को यहाँ सूचना केन्द्र में आयोजित समारोह में उन्हें पुरस्कार स्वरूप मानपत्र, शॉल, श्रीफल एवं पाँच हजार एक सौ रुपये का चेक प्रदान किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि एवं प्रख्यात हिन्दी साहित्यिक पत्रिका ‘कथादेश’ के सम्पादक हरिनारायण ने कहा कि कमर मेवाड़ी की कहानियों में हर उस आदमी का संघर्ष है, जो लगातार छला जा रहा है। उनकी कहानियों के पात्र हमारे आसपास के पात्र हैं, अक्सर जिनकी अनदेखी हम करते हैं और जो संघर्ष करते हुए जीते हैं, मगर हारते नहीं। उन्होंने कहा कि कमर मेवाड़ी द्वारा पिछले छियालीस वर्षों से प्रकाशित पत्रिका ‘संबोधन’ एक व्यक्ति की जिद और जुनून का नतीजा है।
मुख्य वक्ता डॉक्टर दुष्यंत ने कहा कि शब्द के सामने हर युग में चुनौतियों रही हैं, लेकिन वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हर चीज को बाजार में तब्दील किया जा रहा है। यह एक बड़ी साजिश है, जिसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किताबों के बिकने महज से लेखन की गुणवत्ता प्रमाणित नहीं होती है। किसी भी लेखन की कसौटी यह है कि उससे लोगों की जिन्दगी में कितनी तब्दीली आती है और उन शब्दों की गूँज कितने दिनों तक बनी रहती है। उन्होंने कहा कि बाजार ने राजस्थानी को हमसे छीनने का प्रयास किया है लेकिन राजस्थानी हमारे पेट की नहीं, हमारे जमीर और भावनाओं की भाषा है, इसलिए राजस्थानी भाषा हमेशा बनी रहेगी।
विशिष्ट अतिथि जोधपुर की वरिष्ठ साहित्यकार पद्मजा शर्मा ने कहा कि साहित्य व्यक्ति को बेहतर मनुष्य बनाता है और केवल साहित्य ही ऐसा कर सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में केवल साहित्य ही है, जहाँ पीडि़त, शोषित और वंचित की चीख सुनी जा रही है। उन्होंने कहा कि जो रचना अपने समय से विमुख होती है, समय उससे विमुख हो जाता है। साहित्य ऐसा होना चाहिए जो सच के आगे-पीछे की सचाइयों का पता पाठक को दे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक रचनाकार को स्वयं से यह सवाल करना चाहिए कि क्या उसका साहित्य उस व्यक्ति तक पहुँच रहा है, जिसके लिए वह लिखा जा रहा है। शर्मा ने प्रेमचंद को उद्धृत करते हुए कहा कि साहित्य राजनीति के सामने जलने वाली मशाल है और वह क्रान्ति के लिए एक जमीन तैयार करता है।
सम्मानित साहित्यकार कमर मेवाड़ी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं एक बहुत ही मामूली आदमी हूँ और मैंने आज तक ऐसा कुछ नहीं लिखा, जिस पर गर्व किया जा सके। बस मेरे भीतर एक बेचैनी है जो मुझे लिखने के लिए बाध्य करती है। उन्होंने कहा कि कहानी के लिए मैं काल्पनिक पात्रों का सृजन नहीं करता और मेरी सारी कहानियाँ यथार्थ के धरातल पर खड़ी हैं।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस मौके पर प्रयास संस्थान की ओर से प्रकाशित एवं कुमार अजय द्वारा सम्पादित स्मारिका का भी विमोचन किया गया तथा प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉक्टर घासीराम वर्मा का भी सम्मान किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार भंवर सिंह सामौर ने स्वागत उद्बोधन में अतिथियों का परिचय दिया। राजेंद्र शर्मा ‘मुसाफिर’ ने आभार जताया। संचालन कमल शर्मा ने किया। प्रयास संस्थान के अध्यक्ष दुलाराम सहारण, वरिष्ठ साहित्यकार बैजनाथ पंवार, पूर्व सभापति रामगोपाल बहड़, सोहन सिंह दुलार, हनुमान कोठारी, कर्नल जसवंत खाँ आदि ने माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर मेवाड़ के प्रख्यात गजलकार शेख अब्दुल हमीर, डॉक्टर जगजीत कविया, वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र कसवा, बीरबल नोखवाल, सुधींद्र शर्मा सुधी, उम्मेद गोठवाल, परमेश्वर जालुका, इंदिरा सिंह, मानसिंह सामौर आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम झलकियां :